Friday 28 April 2017

सफलता की और कदम

चलते रहे चलते रहे ...
ग़मों के कांटे चुभते रहे,
फिर भी हम चलते रहे|
मिलते रहा सभी से मगर,
अपने दायरों में सिमटता रहा
फिर भी में चलता रहा !
गिरना तो फितरत ही थी,
गिर गिर के संभालता रहा |
फिर भी में चलता रहा …
क्या है तेरा वजूद ‘विद्रोही ’,
मौसम से तुम बदलते रहे |
फिर भी हम चलते रहे …
मित्रो ये पंक्तिया मेरे जीवन में बहुत बड़ा सन्देश देती है क्यों की सफलता और असफलता का मेरे जीवन चोली दामन का साथ रहा है --- समय के साथ खुद ही ढलते गये हम । चलते रहे बहुत सम्भलकर फिर भी फिसल ही गये हम ।किसी ने विश्वास तोड़ा , किसी ने दिल। किसी ने हाथ छोड़ा तो किसी ने मुह मोड़ा । फिर भी लोगों ने यही कहा बदल गये हम ! सँभलकर कर चलते रहे उम्र भर अनजानी राहों पर पैर लड़खड़ाए वहीं जहाँ राहें जानी पहचानी थी ! एक अनचाहा सा खाली पन , जब भी कुछ लम्हे ज़िन्दगी के सुकून से बिताने को मन करता है जो कुछ पाने कुछ खोने ,किसी को अपना बनाने ,किसी के होने का मन करता है बस एक साथी है जो मेरा हर समय मेरे सुख मेरे दुःख में रंग भरने का काम करता है वो है मेरी डायरी और उस का प्रेमी 'कलम " जब दोनों एक दुसरे से मिल जाते है तो बिछड़ने का नाम ही नहीं लेते है ! बचपन से शोख कहू या सपना जब कोई समाचार पत्र पढता था ! हमेशा सोचता था में भी एक ऐसा समाचार पत्र का प्रकाशन करूँगा ! एक बार कोशिस भी मगर सफल नही हो पाया ! मात्र 2 अंक के बाद कुछ कारण से प्रकाशन बंद हो गया ! मगर होंसला था जज्बा बुलंद था की एक दिन प्रकाशन फिर से करूँगा और फिर शुरू हुआ .... हुआ तो बढ़ता ही गया बढ़ता ही गया और बढ़ता ही जा रहा है ... महापुरुषों की , लेखको की लिखित साहित्य पढने का शोख ने कुछ लिखने को प्रेरित किया अब कुछ वर्षो से लिखने भी लगा हु ! अच्छा लिखू या नही में नही जानता मगर जो लिखता हु आप सभी मित्रो से जरुर साझा करता हु आप सबकी प्रतिक्रिया मुझे हमेशा नया लिखने का साहस प्रदान करती है ! अब कुछ विषय के मुख्य बिंदु की और मित्रो जब हम किसी सफल व्यक्ति को देखते हैं तो केवल उसकी सफलता को देखते हैं। इस सफलता को पाने की कोशिश में वह कितनी बार असफल हुआ है, यह कोई जानना नहीं चाहता। जबकि असफलता का सामना करे बिना शायद ही कोई सफल होता है। असफलता, सफलता के साथ-साथ चलती है। आप इसे किस तरह से लेते हैं, यह आप पर निर्भर करता है, क्योंकि हर असफलता आपको कुछ सिखाती है। असफलता में राह में मिलने वाली सीख को समझकर जो आगे बढ़ता जाता है वह सफलता को पा लेता है। सफलता के लिए जितना जरूरी लक्ष्य और योजना है, उतना ही जरूरी असफलता का सामना करने की ताकत भी।
जिस दिन आप तय करते हैं कि आपको सफलता पाना है, उसी दिन से अपने आपको असफलता का सामना करने के लिए तैयार कर लेना चाहिए, क्योंकि असफलता वह कसौटी है जिस पर आपको परखा जाता है कि आप सफलता के योग्य हैं या नहीं। यदि आप में दृढ़ इच्छाशक्ति है और आप हर असफलता की चुनौती का सामना कर आगे बढ़ने में सक्षम हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। तो हो जाइए तैयार सफलता की राह में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए, क्योंकि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसकी असफलताओं की भी कहानी होती है।
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में ।
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले ।।
अंग्रेज़ी की एक प्रेरक कहावत है- 'स्ट्रगल एंड शाइन।' यह वाक्य हमें बड़ी शक्ति देता है, जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जीवन में कठिनाईयां तो आती ही हैं और कभी-कभी तो इतने अप्रत्याशित कि संभलने का भी पूरा समय नहीं मिलता। यही तो जीवन की ठोकरें हैं जिन्हें खाकर ही हम संभलना सीख सकते हैं। उनसे बचने की कोशिश तो करना है, पर ठोकर कहते ही उसे हैं जो सावधानी के बाद भी लगती है और आखिर एक नई सीख भी दे जाती है। रसायन शास्त्र का एक नियम है, जो जिंदगी पर भी लागू होता है। जब कोई अणु टूटकर पुन: अपनी पूर्व अवस्था में आता है तो वह पहले से अधिक मज़बूत होता है। इसी तरह हम जब किसी परेशानी का सामना करने के बाद पहले से अधिक मज़बूत हो जाते हैं और जीवन में और भी तरक्की करते हैं।
मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही,
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं........
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
नोट - इन विचारो को तोेड मरोडकर या नाम हटाकर ..कही पोस्ट न करे

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